शिक्षाMughal Divorce Rules: मुगलों के राज में क्या थे...

Mughal Divorce Rules: मुगलों के राज में क्या थे तलाक के नियम,जानकर रह जाएंगे दंग

-

होमशिक्षाMughal Divorce Rules: मुगलों के राज में क्या थे तलाक के नियम,जानकर रह जाएंगे दंग

Mughal Divorce Rules: मुगलों के राज में क्या थे तलाक के नियम,जानकर रह जाएंगे दंग

Published Date :

Follow Us On :

Mughal Divorce Rules: इस्लाम और उससे जुड़े नियम कानून को लेकर दुनिया भर में बहस होती रहती है. हालांकि, भारत में पिछले साल तीन तलाक से लेकर हलाला और हिजाब जैसे मुद्दे पर काफी चर्चा किया गया. यह बात तो हर कोई जानता है कि, तलाक को लेकर दुनिया में अलग-अलग देशों के अपने अलग-अलग नियम कानून हैं. खासकर मुस्लिम देश , सऊदी अरब, तुर्क, अफगानिस्तान जैसे कई अन्य देशों में तलाक को लेकर नियम बनाए गए हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा या आप जानते हैं कि मुगलों के दौर में तलाक (Mughal Divorce) को लेकर क्या नियम बनाया गया था? अगर नहीं तो आइए जानते हैं..

Mughal Divorce Rules

क्या थी निकाहनामे की शर्त ?

बीबीसी की एक रिपोर्ट की माने तो, मुगलों के दौर में निकाहनामे के कई नियम बनाए गए थे. जिसमें से एक और सबसे पहला नियम था कि, मौजूदा बीबी के रहते हुए कोई भी शख्स यानी शौहर (पति) दूसरा निकाह नहीं कर सकता है. यहां तक की कोई भी शौहर अपनी पत्नी से अधिक दिन तक दूर नहीं रह सकता था. इतना ही नहीं यूज अपनी पत्नी को समय समय पर गुजारा भत्ता भी देना होता था. सबसे हम कानून था कि, कोई भी शौहर किसी भी दासी को अपनी पत्नी के रूप में नहीं रख सकता था.

ये भी पढ़े: Parle-G की पैकेट पर दिखने वाली इस छोटी लड़की का चेहरा अब तक क्यों नहीं बदला?जानें आखिर कौन है ये

क्या था तलाक का नियम ?

अब अगर मुगलों के जमाने में तलाक (Mughal Divorce) की बात की जाए तो, सबसे पहले बादशाह जहांगीर की एक फैसले की काफी जिक्र की जाती है. ऐसा इसलिए होता है जहांगीर ने अपनी पत्नी की गैर मौजूदगी में शहर की तरफ से तलाक की घोषणा को अवैध बता दिया था. हालांकि, उस दौर में भी पत्नी की तरफ से खुला या तलाक देने का अधिकार था. वहीं जैसे ही निकाहनामें की शर्त टूटती थी तो शादी को खत्म घोषित कर दिया जाता था. वहीं उसे दौर में जब गरीबों में शादी होती थी तो उसे जुबानी वादे के तौर पर देखा जाता था.

जुबानी वादे पर होती थी शादी

दरअसल, उस दौर में जब गरीबों की आपस में शादी होती थी. तो उसे केवल जुबानी वादे के तौर में माना जाता था. अगर इन वादों का शौहर पालन नहीं करता है. तो उसे तलाक का कारण भी बनाया जाता था और शादी खत्म होने की सूरत तक अपनी बीबी को भत्ते के साथ कई शर्त भी मानने पड़ते थे. हालांकि, पत्नी यानी बेगम और पति यानी शौहर को समान अधिकार दिए गए थे.

आपके लिए  – शिक्षा से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें

Vivek Yadav
Vivek Yadavhttps://bloggistan.com
विवेक यादव डिजिटल मीडिया में पिछले 2 सालों से काम कर रहे हैं. Bloggistan में विवेक बतौर सब एडिटर कार्यरत हैं. इससे पहले`द बेगुसराय' के साथ इन्होंने अपनी पारी खेली है. ऑटो और टेक पर लिखने में इनकी विशेष रुचि है. इन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई की है.

Latest news

- Advertisement -spot_imgspot_img

Must read

अन्य खबरेंRELATED
Recommended to you