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Ganesh Chaturthi : 18 या 19..किस दिन होगा गणपति बप्पा का आगमन, यहां जानें शुभ मुहूर्त और सही डेट

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Ganesh Chaturthi : 18 या 19..किस दिन होगा गणपति बप्पा का आगमन, यहां जानें शुभ मुहूर्त और सही डेट

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Ganesh Chaturthi : रक्षा बंधन का त्यौहार खत्म होते ही लोगों को बेसब्री से गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi Shubh muhurat ) का इंतजार रहता है. देश के हरेक राज्य में अलग अलग रीति रिवाज से गणपति बप्पा का स्वागत किया जाता है. हर साल भ्रादपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन गणेश उत्सव की शुरुआत होती है जो अनंत चतुर्दशी तक चलता है. नवरात्रि की तरह ही गणेश महोत्सव भी 10 दिन तक मनाया जाता है.

चतुर्दशी के दिन घरों या मंदिरों में गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित की जाती है और 10वें दिन बप्पा को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है. भक्त बड़े ही हर्षो उल्लास से गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं.लेकिन इस वर्ष हर पर्व की तरह गणेश चतुर्थी की तारीख को लेकर लोगों को कन्फ्यूजन हो रहा है. ऐसे में चलिए आपको सही डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं.

Ganesh Chaturthi
Ganesh Chaturthi

Ganesh Chaturthi : शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग और कैलेंडर में दिए गए मुहूर्त (Ganesh Chaturthi Shubh muhurat)के मुताबिक इस साल गणेश चतुर्थी 18 और 19 सितंबर दोनों दिन मनाया जायेगा . ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे हैं कि आखिर किस दिन गणेश उत्सव मनाना शुभ होगा? आज हम आपके इन्हीं सवालों के जवाब इस लेख में माध्यम से देंगे. दरअसल, वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष भ्रादपद माह शुल्क पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितंबर 2:09पीएम और 19 सितंबर को 3:13पीएम पर समाप्त हो जायेगी.

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मूर्ति स्थापित करना कब होगा शुभ

आपकी जानकारी के लिए बता दें पंचांगों के अनुसार, 19 सितंबर के दिन गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करना शुभ माना जायेगा. सुबह 10 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक मूर्ति स्थापित किया जायेगा. वहीं, दोपहर 12:52PM से लेकर 2:56PM तक मूर्ति को स्थापित का अति शुभ माना जायेगा.

क्यों मनाया जाता है गणेश चतुर्थी

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महर्षि वेदव्यास ने भगवान गणेश जी महाभारत की रचना को लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की थी. जिसके बाद वेद व्यास ने श्लोक बोलना शुरू किया और गणेश जी ने बिना रुके श्लोक को लिपिबद्ध करना शुरू कर दिया. इस क्रम में गणेश जी के शरीर पर धूल मिट्टी जम गया था. जिसके बाद उन्होंने सरस्वती नदी में स्नान किया और उस दिन चतुर्थी थी इसलिए हर साल गणेश चतुर्थी मनाए जाने लगा.

Disclaimer: इस लेख में दी गयी जानकारी पंचांगों और केलिन्डर पर आधारित है. हमारा वेबसाइट इसमें दी गयी जानकारी कि पुष्टि नहीं करता है.

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Komal Singh
Komal Singhhttps://bloggistan.com
कोमल कुमारी पिछले 2 साल से डिजिटल मीडिया में काम कर रही हैं और मौजुदा समय में ये Bloggistan में कंटेंट राइटर है. इन्हें ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में विशेष रुचि है. इन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से बैचलर की डिग्री हासिल किया है.

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