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Eye Disease: अगर आपके भी बच्चे को लग गई है फोन की बुरी आदत, तो हो जाएं सावधान, मोबाइल स्क्रीन से हो रही ये बीमारी

Eye Disease: बच्चा हो या बूढ़ा! हर इंसान के लिए आंख सबसे जरूरी है. इसके बिना पूरी दुनिया अंधेरे में दिखाई पड़ती है. यहीं वजह है कि आंख को बॉडी का सेंसटिव पार्ट में से एक माना जाता है.

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Eye Disease: अगर आपके भी बच्चे को लग गई है फोन की बुरी आदत, तो हो जाएं सावधान, मोबाइल स्क्रीन से हो रही ये बीमारी

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Eye Disease: बच्चा हो या बूढ़ा! हर इंसान के लिए आंख सबसे जरूरी है. इसके बिना पूरी दुनिया अंधेरे में दिखाई पड़ती है. यहीं वजह है कि आंख को बॉडी का सेंसटिव पार्ट में से एक माना जाता है. आंखो में थोड़ी सी भी परेशानी दिखने पर तुरंत एक्शन लेने की जरूरत है, वरना आगे चलकर आपको कई समस्या हो सकती है. वर्तमान में मोबाइल हमारे लाइफस्टाइल का एक अहम हिस्सा बन गया है. इसके बिना प्रयोग किए हमारा जीवन यापन मुश्किल हो गया है.

Eye Disease
Eye Disease

आज लोग मोबाइल के अलावा लैपटॉप, टीवी समेत अन्य डिजीटल स्क्रीन का प्रयोग करते हैं. बड़ों के अलावा बच्चे भी इसके दीवाने हो गए हैं. बच्चे मोबाइल पर या तो गेम खेलते हैं या फिर अपनी पसंद के कार्टून देखते हुए हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि अधिक से तक बच्चों को फोन और टीवी पर देखने से आंखों में कई प्रकार की समस्या उत्पन्न हो रहे हैं. ऐसे में आइए जानते हैं इस समस्या के बारे में डिटेल से..

बच्चों में दिख रही मायोपिया बीमारी (Eye Disease)

बच्चे मोबाइल जैसी छोटी स्क्रीन को काफी नजदीक से देखते हैं. ऐसे में उन्हें मायोपिया बीमारी अपनी चपेट में ले रही है. डॉक्टरों का कहना है कि मायोपिया बच्चों में होने वाला निकट दृष्टि दोश है. इसमें बच्चे की आंखों की पुतली का आकार बढ़ने से प्रतिविंब रेटिना के बजाय थोड़ा आगे बनता है. उन्हें दूर की चीज देखने में प्रॉब्लम होती है. वहीं, कई रिसर्च में भी यह सामने आया है कि, आपके लिए छोटी स्क्रीन बहुत घातक है. साथ ही जिन बच्चों को आंख पर चश्मा लगा हुआ है, उनके लिए भी छोटी स्क्रीन काफी हानिकारक है. क्योंकि अधिक गौर से फोन के स्क्रीन पर देखने से दिन प्रतिदिन उनके आंखों का नंबर बढ़ता ही जा रहा है.

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मायोपिया के लक्षण (Eye Disease)

बार बार आंखों का झपकना, दूर की चीजें स्पष्ट न दिखना, देखने में परेशानी होना, सिर दर्द होना, पलकों को सिकुड़कर देखना, आंखों से पानी आना, क्लासरूम में ब्लैक बोर्ड या व्हाइट बोर्ड पर ठीक से न दिखना, किताबों के अक्षर स्पष्ट न दिखना शामिल हैं.

पेरेंटस ऐसे रखें अपने बच्चों का ख्याल

अगर आप अपने बच्चों को इस बीमारी के शिकार होने से बचाना चाहते हैं, तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत है. आपके बच्चे जिस जगह पढ़ रहे हैं, वहां प्रॉपर रोशनी मौजूद है या नहीं इसका ध्यान दें. साथ ही कोशिश करें कि आपका बच्चा कम से कम मोबाइल यूज करें. यही डिजिटल स्क्रीन पढ़ाई के लिए देनी है तो मोबाइल की जगह लैपटॉप दें. साथ ही बच्चों को कुछ देर धूप में भी रहने दे, पौष्टिक आहार, विटामिन ए युक्त डाइट जरूर दें. ताकि बच्चे का स्वस्थ ठीक रहे.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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Komal Singh
Komal Singhhttps://bloggistan.com
कोमल कुमारी पिछले 2 साल से डिजिटल मीडिया में काम कर रही हैं और मौजुदा समय में ये Bloggistan में कंटेंट राइटर है. इन्हें ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में विशेष रुचि है. इन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से बैचलर की डिग्री हासिल किया है.

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