Pneumonia diseases: देश में हर साल लाखों लोग निमोनिया का शिकार होते हैं. निमोनिया फेफड़ों में होने वाला एक ऐसा संक्रमण है जो बैक्टीरिया, फंगस, और वायर वजह से होता है. हमारे फेफड़े एल्वियोली नामक छोटी थैलियों से बने होते हैं, जो एक स्वस्थ व्यक्ति के सांस लेने पर हवा से भर जाते हैं. जब किसी व्यक्ति को निमोनिया होता है, तो एल्वियोली मवाद और तरल पदार्थ से भर जाती है, जिससे सांस लेने में दर्द होता है और ऑक्सीजन का सेवन सीमित हो जाता है.
वैसे तो निमोनिया किसी भी उम्र के इंसान को अपना शिकार बना सकता है. लेकिन पांच साल तक के बच्चों में इसका खतरा ज्यादा होता है. निमोनिया का सही इलाज ना होने पर ये जानलेवा भी हो सकता है.
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Pneumonia diseases: निमोनिया दुनिया भर में बच्चों में मौत का सबसे बड़ा संक्रामक कारण है. निमोनिया ने 2019 में 5 वर्ष से कम आयु के 740 180 बच्चों की जान ले ली, जो 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सभी मौतों का 14% है, लेकिन 1 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों की मृत्यु का 22% है. वैसे तो निमोनिया हर जगह बच्चों और परिवारों को प्रभावित करता है, लेकिन इसके कारण सबसे अधिक मौतें दक्षिणी एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में होती है.
लगातार निमोनिया के बढ़ते केस को देखते हुए नौएडा के फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन और पीडियाट्रिशियन डॉ. डीके गुप्ता का कहना है( आज तक से) कि इस मौसम में बच्चों का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है क्योंकि पिछले कुछ दिनों में जितने भी बच्चों की मौत हुई है उस सबका प्रमुख वजह निमोनिया होती है. बच्चों में निमोनिया के लक्षणों को समय पर पहचानकर उनका इलाज करना जरूरी है. वरना यह जानलेवा हो सकते हैं.
उन्होंने आगे कहा, “सर्दी में बच्चों को निमोनिया का खतरा अधिक होता है. बच्चों को ठंड से बचाना चाहिए. उन्हें पूरे कपड़े पहना कर रखें. कान ढककर रखें, सर्दी से बचाएं. पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने तथा दूध पीने में भी दिक्कत होती है.”
इन चीजों से भी फैल सकता है निमोनिया-
निमोनिया कई तरह से फैल सकता है. वायरस और बैक्टीरिया जो आमतौर पर एक बच्चे की नाक या गले में पाए जाते हैं, अगर वे साँस लेते हैं तो फेफड़ों को संक्रमित कर सकते हैं. वे खांसी या छींक से हवा से उत्पन्न बूंदों के माध्यम से भी फैल सकते हैं. इसके अलावा, निमोनिया रक्त के माध्यम से फैल सकता है, खासकर जन्म के दौरान और उसके तुरंत बाद भी बच्चों को निमोनिया हो सकता है. जिसका रोकथाम अधिक आवश्यक हैं.
ये हैं निमोनिया के लक्षण-
इस बीमारी के लक्षणों में बुखार, पसीना आना और ठंड लगना शामिल है. इसके अलावा पीड़ित के छाती में दर्द होता है. खासकर सांस लेने और खांसने पर दिक्कत ज्यादा महसूस होती है. पीड़ित को कफ या बलगम पैदा करने वाली खां भी होती है. खांसी के साथ पीला बलगम आ अत्यधिक थकान भी होती है. भूख में कमी हो जाती है.
इन कारणों से बढ़ता है जोखिम-
• कुपोषण ( स्वस्थ देखभाल की कमी के कारण)
• जिस बच्चे ने स्तनपान (मां का दूध) न किया हो
• एचआईवी और खसरा जैसे लक्षण वाले बच्चों को
• वायु प्रदूषण (लकड़ी या गोबर वाले ईंधन का धुआं)
• जल प्रदूषण (दूषित पानी पीना)
• अशिक्षा और गरीबी
निमोनिया से बचाव-
उन्होंने कहा बच्चों का टीकाकरण करवाने से निमोनिया के होने वाले खतरों से बहुत हद तक बचा जा सकता है, लेकिन कोरोना की वजह से पिछले दो सालों में निमोनिया के टीकाकरण काफी प्रभावित हुआ है. इसकी वजह से बच्चे वैक्सीन का पूरा कोर्स नहीं कर पाए हैं. ऐसे में जरूरी है कि बच्चों का समय से टीकाकरण कराएं. निमोनिया का टीकाकरण बच्चे को सबसे पहले डेढ़ महीने, ढाई महीने, साढ़े तीन महीने और फिर 15 महीने की उम्र में लगाया जाता है.