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Indian Railways: 6 रूपए का लालच रेलवे कर्मचारी को पड़ा भारी,गई नौकरी,कोर्ट से नहीं मिली राहत

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Indian Railways: 6 रूपए का लालच रेलवे कर्मचारी को पड़ा भारी,गई नौकरी,कोर्ट से नहीं मिली राहत

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Indian Railways: भारतीय रेलवे के द्वारा प्रतिदिन लाखों यात्री सफर करते हैं ट्रेन में यात्रा करने के लिए जहां अधिकतर यात्री रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर से टिकट खरीदते हैं वही बहुत से यात्री ऑनलाइन तरीके से भी टिकट बुक कराते हैं.लेकिन आज से दो दशक पहले ऑनलाइन टिकट की व्यवस्था नहीं थी और इसी का फायदा उसमें टिकट काटने वाले कुछ क्लर्क भी उठाते थे और यात्रियों को टिकट के बचे हुए पूरे पैसे वापस नहीं करते थे.ऐसा ही वाकया साल 1997 में हुआ था जब एक क्लर्क राजेश वर्मा को टिकट के पैसों में हेरा फेरी के आरोप में गिरफ्तार किया था.आइए इस पूरे वाकए के बारे में आपको डिटेल बताते हैं.

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ऐसे मारा गया था छापा

दिन था 30 अगस्त का साल था 1997 जब कुर्ला टर्मिनस जंक्शन पर टिकट बुकिंग कार्यालय में बैठकर रेलवे क्लर्क राजेश वर्मा यात्रियों की टिकट काट रहे थे. इसी दौरान विजिलेंस टीम ने एक RPF जवान को सुनियोजित तरीके से यात्री बनाकर टिकट लेने के लिए भेजा. आरपीएफ जवान जैसे ही टिकट काउंटर पर पहुंचा उसने राजेश शर्मा से कुर्ला से आरा तक के लिए टिकट मांगा और उन्हें 500 का नोट दिया. क्लर्क राजेश शर्मा को टिकट की कीमत 214 रूपये 500 के नोट में से काटनी थी और उन्हें 286 रूपए वापस लौटाने थे लेकिन राजेश शर्मा ने 280 रूपए ही उनको वापस किए और 6 रूपए नहीं दिए. तुरंत ही विजिलेंस टीम ने राजेश शर्मा पर छापा मारा और उनके पास रखी अलमारी में 450 रूपए अतिरिक्त बरामद किए जिनके हिसाब किताब राजेश वर्मा नहीं दे पाए और उनके कैश कलेक्शन में भी 58 रूपए विजिलेंस टीम को कम प्राप्त हुए.

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नौकरी से दिया गया निकाल

राजेश वर्मा ने अपने बचाव में दलील देते हुए कहा कि उनके पास उसे समय खुले पैसे नहीं थे जिसके कारण उन्होंने ₹6 वापस नहीं किए. लेकिन सवाल यह उठाया गया कि अगर खुले पैसे उस समय नहीं थे तो यात्री को इंतजार करने के लिए राजेश वर्मा ने क्यों नहीं बोला गया.उसके बाद वर्ष 2002 में इसी मामले में क्लर्क राजेश वर्मा को दोषी ठहराया गया और उन्हें रेलवे की नौकरी से निकाल दिया गया.

हाईकोर्ट से भी नहीं मिली राहत

नौकरी से निकल जाने के बाद राजेश शर्मा ने हाईकोर्ट में अपील की. इसके बाद 7 अगस्त 2023 को हाईकोर्ट ने राजेश वर्मा को भी राहत नहीं दी और नौकरी वापस देने से इनकार कर दिया. इस प्रकार 2 दशक तक चले इस मामले से सरकारी कर्मचारियों को यह सीख लेनी चाहिए कि छोटे से लालच के चक्कर में उनकी पूरी जिंदगी बर्बाद हो सकती है और भ्रष्टाचार का दाग उनके ऊपर आजीवन कलंक लगा देता है.

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Dushyant Raghav
Dushyant Raghavhttps://bloggistan.com
दुष्यंत राघव Bloggistan में बतौर Chief Sub Editor कार्यरत हैं. ये पिछले 5 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. इन्होंने उमर उजाला, पंजाब केसरी जैसे मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएं दी हैं. इन्हें राजनीति और टेक पर लिखना पसंद है. दुष्यंत ने अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से की है.

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