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Hero-Honda Story: जनम जनम साथ निभाने का वादा करके, आखिर क्यों बीच रास्ते में ही बिछड़ गए हीरो और होंडा, जानें असली वजह

Hero-Honda Story: एक समय था जब हीरो-होंडा (Hero-Honda) को भारत में हर कोई जानता था. जब भी मोटरसाइकिलों का नाम आता तो लोग सबसे पहले हीरो होंडा के गाड़ियों का नाम लेते थे.

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Hero-Honda Story: जनम जनम साथ निभाने का वादा करके, आखिर क्यों बीच रास्ते में ही बिछड़ गए हीरो और होंडा, जानें असली वजह

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Hero-Honda Story: एक समय था जब हीरो-होंडा (HeroHonda) को भारत में हर कोई जानता था. जब भी मोटरसाइकिलों का नाम आता तो लोग सबसे पहले हीरो होंडा के गाड़ियों का नाम लेते थे. 90 के दशक में इस कंपनी ने अपनी दमदार गाड़ियों से मार्केट में धूम मचा दिया था. हालंकि, आज इन दोनों की राहें अलग हो गई है. बता दे कि भारत की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी हीरो और जापान की जानी-मानी कंपनी होंडा ने भारत ही नहीं दुनियाभर के काई देशों को टिकाऊ और सस्ती मोटरसाइकिलें दी है.

Hero-Honda Story
Hero Honda Story (Google)

क्या है इन कंपनियों (Hero-Honda Story)की असली कहानी

अगर बात हीरो कंपनी के इतिहास की करे तो बता दे कि, Hero कम्पनी की नींव ब्रजमोहन लाल मुंजाल ने 1956 में रखी थी. यह इस समय की सबसे बड़ी साइकिल बनाने वाली कंपनी थी, जिसे 80 के दशक में कई देशों में एक्सपोर्ट किया जाता था. इसी दौरान मुंजाल ने देखा कि दुनिया में मोटरसाइकिल का बाजार भी काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. बता दे कि इंडिया में उस समय कुछ गिने चुने ही मोटरसाइकिल थे वो भी उतने अच्छे नहीं थे. जिसके बाद मुंजाल के दिमाग ने एक आइडिया आता है! क्यों न विदेशी टेक्नोलॉजी से लैस एक किफायती बाइक इंडिया के लिए बनाया जाए और यही से शुरू हुआ हीरो का सफर.

लेकिन सवाल यहां पर ये उठा रहा था कि, विदेशी टेक्नोलॉजी को भारत में इस्तेमाल कैसे किया जाए? क्योंकि उस समय भारत के पास उतना डिवेलप टेक्नोलॉजी नहीं थी. तभी ब्रजमोहन जी को मालूम चला कि, जापानी कम्पनी होंडा भारत में अपनी गाड़ी को सेल करना चाहती है, लेकिन एलपीजी (LPG) के कारण भारत में नहीं आ पा रही है.

ऐसे में ब्रजमोहन जी ने होंडा को एक बिजनेस प्रपोजल भेजा और इसके बाद दोनों कंपनियों ने 1984 में एक एग्रीमेंट तैयार किया, इसके तहत हीरो मोटरसाइकिल की बॉडी मैन्युफैक्चर करेगा और होंडा इंजन सप्लाई करेगी. इसके साथ ही एक और समझौता हुआ, कि दोनों ही कंपनियां कभी भी अलग प्रोडक्ट लॉन्च नहीं करेंगी.

इस बाइक ने किया सालों साल राज

अब यहां से हीरो होंडा कंपनी की शुरुआत होती है और 1985 में हीरो होंडा की पहली मोटरसाइकिल CD 100 मार्केट में आती है. इस बाइक के लॉन्च होते ही ग्राहकों में हड़कंप मच गया. हर तरफ इस बाइक बाइक के बारे में चर्चा होने लगी और कुछ ही दिनों में यह बाइक अपने दमदार माइलेज से सबको दीवाना बना लिया. कम्पनी के सक्सेस को देखने के बाद कई कंपनियां जैसे बजाज, टीवीएस, सुजुकी, यमाहा ने भी इस फील्ड में एंट्री ले ली.

यहां से बुरे वक्त की हुई शुरआत

जब भारत में हीरो होंडा को काफी पसंद किया जाने लगा तथा उससे कंपनी को प्रॉफिट होने लगी. इसी बीच जापानी करेंसी में उछाल आती है और यही से कंपनी के बुरे दिन की शुरआत हो जाती है. इस समय गाड़ी के स्पेयर पार्ट्स महंगे होने के कारण कंपनी को बेहतर बाइक बनाने में मुश्किल होने लगी. हालंकि, कंपनी अपने ग्राहकों का विश्वास नहीं तोड़ना चाहती थी जिसके कारण हीरो को काफी लॉस हुआ. तभी 1990 में डॉलर का एक्सचेंज प्राइस रेग्युलेट होने के बाद कंपनी को कुछ आराम आया.

अभी तक इन कम्पनियों के संबंध अच्छे थे लेकिन धीरे धीरे हीरो और होंडा में अनबन शुरू हो गया और दोनों ने अंततः अपनी राहें बदल ली. दरअसल, हीरो होंडा की मोटरसाइकिलें इंडिया के साथ बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और भूटान में ही एक्सपोर्ट हो रही थीं. लेकिन होंडा अपनी गाड़ी अमेरिका और रूस जैसे विकसित देशों में एक्सपोर्ट कर रही थी और हीरो पर ये करने की पाबंदी थी.

ऐसे में हीरो चाह कर भी होंडा से अलग नहीं हो सकती थी, क्योंकि बाइक के इंजन होंडा ही प्रोवाइड कराती थी. होंडा के पास खुद का मैन्युफैक्चरिंग इंजन नहीं थी, लेकिन अब हीरो ने भी इंजन मैन्युफैक्चरिंग का काम शुरू किया. होंडा को जब इस बात का पता चला तो दोनों कंपनियों के बीच की अनबन बढ़ने लगी. आगे चलकर यह अनबन इतनी बढ़ गई की एग्रीमेंट होने के बाद भी होंडा ने 1999 में होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से अपनी एक अलग कंपनी बना ली और होंडा के बैनर तले मोटरसाइकिलें लॉन्च करना शुरू कर दिया.

अब होंडा अपनी कंपनी के साथ ही हीरो होंडा से भी प्रॉफिट उठाने लगी.यहां पर ब्रजमोहन मुंजाल के बेटे पवन मुंजाल ने होंडा की इस मनमानी का खुलकर विरोध किया. और उन्होंने होंडा को एग्रीमेंट तोड़ने की बात कही और इससे अलग होने का फैसला लिया. धीरे धीरे ये अनबन बाहर आने लगी तो लोगों ने हीरो को कहना शुरू किया कि होंडा के बिना हीरो का कोई अस्तित्व नहीं है. लेकिन पवन को खुद पर और अपनी कंपनी पर पूरा यकीन था.

16 दिसंबर 2010 को हीरो और होंडा अलग हो गईं. होंडा ने कंपनी के अपने 26 प्रतिशत शेयर 1.2 अरब डॉलर में हीरो को ही बेच दिए. ये उस दौरान हुई सबसे बड़ी डील्स में से एक थी. यहां से हीरो एक अलग पहचान के साथ अपने बाइक को मार्केट में उतरती है और आज यह अपने किफायती गाड़ियों के कारण होंडा से कई गुना आगे है.

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Komal Singh
Komal Singhhttps://bloggistan.com
कोमल कुमारी पिछले 2 साल से डिजिटल मीडिया में काम कर रही हैं और मौजुदा समय में ये Bloggistan में कंटेंट राइटर है. इन्हें ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में विशेष रुचि है. इन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से बैचलर की डिग्री हासिल किया है.

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