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Mobile side effects: 10 में से 8 विवाहित भारतीय का कहना हैं कि रिश्तों को नुकसान पहुंचा रहा स्मार्टफोन, जानें कैसे?

Mobile side effects

Mobile side effects

Mobile side effects: पहले के समय में इंसान का रिश्ता इंसानों के साथ रहता था. आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी “ बुरे वक्त में अपने ही काम आते हैं “ इसलिए लोग अधिक से अधिक रिश्तों को जोड़ कर रखते थे. और सिर्फ जोड़ते ही नहीं थे बल्कि उन्हें बेहतर तरीकों से निभाते भी थे. किंतु आज के समय में हमे ऐसा कम ही देखने को मिलता है. आज लोगों के पास रिश्तेदारों और घर परिवार के लिए बिल्कुल भी वक्त नहीं होता है.

इस सबका एक ही कारण है वो है स्मार्टफोनजब से लोगों के पास स्मार्ट फोन आ गया है, तब से लोगो के सारे दोस्त, रिश्तेदार सोशल मीडिया पर ही हो गए हैं. वह बस लाइक कमेंट करके खुश होते हैं और रिश्ता के सही मायने को भूलते जा रहे हैं. यह स्वाभाविक बातचीत को खत्म कर रहा है.

अध्यन में हुआ साबित

सोमवार को एक नए अध्ययन में पता चला है कि 10 में से 8 से अधिक विवाहित भारतीयों का मानना है कि मोबाइल का अत्यधिक उपयोग उनके रिश्तों को बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है. दिलचस्प बात यह है कि 67 फीसदी लोगों ने स्वीकार किया कि, वह अपने जीवनसाथी के साथ समय बिताते हुए भी फोन पर लगे रहते हैं, यानी जीवनसाथी के साथ भी समय बिताते हैं और फोन पर भी लगे रहते हैं.


मोबाइल के कारण हुए रिश्ते कमजोर


अध्ययन के अनुसार, अत्यधिक स्मार्टफोन उपयोग के साथ 67 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके संबंध कमजोर हो गए हैं. साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) के सहयोग से वीवो द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, स्मार्टफोन के अधिक उपयोग से मनोवैज्ञानिक परिवर्तन भी होते हैं, 70 प्रतिशत महिलाओं ने बताया है कि, उनके पति अगर अधिक समय तक फोन चलाते है तो, उन्हे चिढ़न होती है.

मनोवैज्ञानिको का कहना है कि, आज के जीवन में स्मार्टफोन का महत्व निर्विवाद है, इसके बिना लोगों का जीवन, काम नहीं चल सकता है. लेकिन अत्यधिक उपयोग ऐसा क्षेत्र है जिससे उपयोगकर्ताओं को सावधान रहने की जरूरत है. भारत में 1.2 बिलियन से अधिक मोबाइल फोन उपयोगकर्ता और 600 मिलियन स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं.


विवाहित जोड़े है सबसे ज्यादा परेशान


अध्ययन के अनुसार, विवाहित जोड़े ज्यादातर अपने साथी के साथ बातचीत करते समय विचलित होते हैं, 69 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने स्वीकार किया कि वह अपने जीवनसाथी के साथ बातचीत करते समय पूरा ध्यान नहीं देते हैं. ऐसे में वे सभी फोन के कारण कर रहे असहज व्यवहार में सुधार करने लिए तैयार है.


अध्ययन में यह साफ कहा गया है कि, लगभग 88 प्रतिशत लोग अपने जीवनसाथी के साथ सार्थक बातचीत के लिए अधिक खाली समय देना चाहते हैं. इसलिए आप भी आज से फोन से ज्यादा अपने रिश्तों पर ध्यान देने की कोशिश करें. यह आपके और आपके परिवार के लिए बेहतर होगा.

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