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Pariksha Pe Charcha : आखिर क्यों परीक्षा पे चर्चा के दौरान स्मार्टफोन पर बढ़ते स्क्रीन टाइम पर पीएम ने जताई चिंता, क्या कहती है रिपोर्ट, जानें

Pariksha Pe Charcha

Pariksha Pe Charcha

Pariksha Pe Charcha :प्रधानमंत्री मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने आज परीक्षा पे चर्चा के दौरान छात्रों(Pariksha Pe Charcha) को कई गुरु मंत्र दिए. लेकिन इस दौरान उन्होंने बढ़ते स्क्रीन टाइम पर चिंता जताई.पीएम इस बात को लेकर चिंतित दिखे की भारत के लोग औसतन 6 घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं. लेकिन पीएम मोदी की ये चिंता व्यर्थ नहीं है. आपको जानकर हैरानी होगी कि एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के लोग औसतन 7.3 घंटे(Indians spend hours on phone)  बिता रहे हैं. स्मार्टफोन पर हमारा ज्यादातर स्क्रीनटाइम सोशल मीडिया के चक्कर में जाया होता है.

सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि, सोशल मीडिया(Indians on Social media) पर टाइम बिताने के मामले में हम भारतीय यूजर्स सबसे आगे हैं. हमने चीन और अमेरिका को भी काफी पीछे छोड़ दिया है..यहां तक बच्चों ने भी स्मार्टफोन(Smartphone addiction) को अपना दोस्त बना लिया है.स्मार्टफोन वो बीमारी बन चुका है जो एक बार लग गई तो उससे छुटकारा पाना आसान नहीं है.

पीएम मोदी ने बढ़ते स्क्रीन टाइम पर चिंता जताने के साथ कहा ‘सबसे पहले तो ये तय करना है कि  आप स्मार्ट हैं या गैजेट. कई बार आप गैजेट को ज्यादा स्मार्ट मान लेते हैं. भारत में एवरेज 6 घंटे लोग स्क्रीन पर बिताते हैं. पीएम ने कहा कि गैजेट हमें गुलाम बना देता है.उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर मैं भी बहुत एक्टिव रहता हूं, लेकिन मैंने उसके लिए समय तय किया है. मेरे हाथ में कभी शायद ही मोबाइल देखा होगा’वहीं पीएम मोदी ने इंस्टाग्राम रील्स पर भी चुटकी लीं.

स्मार्टफोन पर घंटों बिता रहे यूजर्स

आपको जानकर हैरानी होगी कि, भारतीय यूजर्स रोजाना औसतन 7.3 घंटे अपने स्मार्टफोन पर नजरें जमाए रहते हैं.इसमें से ज्यादातर वक्त वो सोशल मीडिया पर उलझे रहते हैं.स्क्रीनटाइम के मामले में भारतीयों के बाद अमेरिकी दूसरे नंबर पर हैं.अमेरिका के लोग रोजाना औसतन 7.1 घंटे स्मार्टफोन पर बिताते हैं, जबकि चीन के यूजर्स 5.3 घंटे ही अपने स्मार्टफोन पर रहते हैं.

अगर सोशल मीडिया की बात करें तो भारतीयों के आगे सोशल मीडिया पर कोई नहीं टिक सकता है.आपके होश उड़ाने के लिए ये काफी है कि एक भारतीय 11 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद है.जबकि अमेरिकन केवल 7 प्लेटफॉर्म पर मौजूद है.लेकिन ये भारत के लिए बिल्कुल अच्छे संकेत नहीं हैं.क्योंकि ये लोगों के मेंटल हेल्थ के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है. इससे आप एंग्जाइटी, डिप्रेशन और कई तरह के मेंटल डिसऑर्डर की चपेट में आ जाते हैं.

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