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Pariksha Pe Charcha: प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों को दिया गुरु मंत्र, जानें क्या कहीं 5 बड़ी बातें

Pariksha Pe Charcha

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Pariksha Pe Charcha:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्र और छात्राओं से ‘परीक्षा पर चर्चा’ की. इस दौरान छात्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुना और उनसे कई सवाल किए.इस कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में किया गया. दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बच्चों को कई गुरु मंत्र दिए. वहीं बच्चों ने भी पीएम मोदी(Prime Minister Narendra Modi) से कई सवाल किए जैसे कि वो परीक्षा में अपने तनाव को कैसे कम करें. तो चलिए जानते हैं आखिर वो पांच बड़ी बातें जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों से कहीं.

Pariksha Pe Charcha:’दबाव में ना आएं,फोकस रहें

पीएम नरेंद्र मोदी से एक छात्र ने एग्जाम में दबाव पर सवाल किया. तो उन्होंने कहा कि ‘कभी भी परिवार के दबाव में ना आएं.उन्होंने कहा जब हम क्रिकेट देखने जाते हैं, तो कुछ बैट्समैन के आते ही स्टेडियम की भीड़ चिल्लाने लगती है. चौका-चौका, छक्का-छक्का.लेकिन बैट्समैन का ध्यान बॉल पर होता है ऑडियंस की डिमांड पर नहीं. उन्होंने ये कहा कि जैसे क्रिकेटर का दिमाग बॉल पर फोकस करता है. वैसे ही हमें भी फोकर रहना चाहिए.अगर आप फोकस में रहेंगे तो आप दबाव झेल लेंगे’

Pariksha Pe Charcha: मां से सीखें टाइम मैंनेजमेंट

पीएम मोदी ने मां से टाइम मैंनेजमेंट सीखने के लिए कहा.एक बच्चे के सवाल में उन्होंने कहा कि ‘क्या आपने कभी अपनी मां के प्रबंधन कौशल को देखा है?.उन्होंने कहा की मां हर काम टाइम के हिसाब से करती  है. अगर आपको स्कूल जाना है तो उसे पता है कि कितने बजे क्या करना है.मां अपने द्वारा किए जाने वाले अपार कार्यों से कभी भी बोझिल महसूस नहीं करती.उन्होंने आगे कहा कि अगर आप मां को गौर से देखेंगे, तो आप समझ पाएंगे कि अपने समय का अच्छे से प्रबंधन कैसे किया जाता है’

6 घंटे स्क्रीन टाइम पर जताई चिंता

पीएम मोदी से आज बढ़ते स्मार्टफोन के एडिक्शन पर चिंता जताई.पीएम ने कहा कि जिस तरह लोगों का स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है तो काफी चिंता की बात है.उन्होंने कहा ‘ कि मुझे कोई बता रहा था कि भारत में औसतन लोग 6 घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं. एक प्रकार से गैजेट हमें गुलाम बना देता है. हम उसके गुलाम बनकर नहीं जी सकते. परमात्मा ने हमें स्वतंत्र अस्तित्व और व्यक्तित्व दिया है, इसलिए हमें सचेत रहना चाहिए कि कहीं मैं इसका गुलाम तो नहीं हैं. कभी कभी लगता है कि आप अपने से भी ज्यादा, गैजेट को स्मार्ट मान लेते हैं और गलती वहीं से शुरू होती है. आप विश्वास करिए- परमात्मा ने आपको बहुत शक्ति दी है.आप स्मार्ट हैं, गैजेट आपसे स्मार्ट नहीं हो सकता है.

‘आलोचना को हमें मूल्यवान समझना चाहिए’

परीक्षा में चर्चा के दौरान एक बच्चे ने पीएम मोदी से सवाल कर दिया कि वो विपक्ष की आलोचनाओं को कैसे लेते हैं.इस पर उन्होंने कहा कि मैं सिद्धांत रूप से मानता हूं कि लोकतंत्र के लिए आलोचना शुद्धि का यज्ञ है. आलोचना समृद्ध लोकतंत्र की पूर्व शर्त है. आजकल राजनीति में आरोप लगाए जाते हैं.आरोपों की परवाह नहीं करना चाहिए.आरोपों को बक्से में डाल दीजिए, लेकिन आलोचना को गंभीरता से लीजिए.आरोप लगाना आसान है, लेकिन आलोचना करने के लिए बहुत मेहनत लगती है, बहुत अध्ययन करना पड़ता है, विश्लेषण करना पड़ता है, जानकारी जुटाना पड़ती है.’

शिक्षकों को भी दी सलाह

पीएम मोदी ने इस दौरान शिक्षकों को भी सलाह दी. उन्होंने कहा कि ‘जब कोई बच्चा आपसे कोई सवाल पूछता है तो आपकी परीक्षा नहीं लेना चाहता बल्कि वो उसकी जिज्ञासा होती है.कभी भी किसी भी जिज्ञासु बच्चे को टोकें नहीं.वहीं उन्होंने शिक्षकों से कहा कि अगर आपको बच्चे के सवाल का जवाब नहीं आता है तो उसे प्रोत्साहित करें.और उससे कहें कि तुम्हारा प्रश्न बहुत की अच्छा था.इसका जवाब मैं तुम्हे कल दूंगा’

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