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The Kerala Story: फ़िल्म “द केरल स्टोरी” की बॉक्स ऑफिस पर धुआंधार कमाई, विरोध के बीच भी जलवा कायम

The Kerala Story

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The Kerala Story: धर्मांतरण और लव जिहाद पर आधारित फिल्म “द केरल स्टोरी” दिन प्रतिदिन अच्छी कमाई करती नज़र आ रही है. शनिवार की तरह फिल्म को रविवार का भी पूरा फायदा मिला, या फिर यूं कहें कि कुछ ज्यादा ही बेनिफिट मिला. हर दिन बेहतरीन कमाई करने के साथ ही यह फिल्म साबित कर रही है कि कंटेंट ही किंग है.

लगातार चल रहे विवादों के बीच निर्देशक सुदीप्तो सेन की द केरला स्टोरी सिनेमा घरों में पहुंच चुकी है. विवादों के चलते ही मेकर्स को फिल्म के ट्रेलर में भी बदलाव करना पड़ा. यूं देखा जाए तो सत्य घटनाओं पर आधारित फिल्म बनाना फिल्मकारों को हमेशा से आकर्षित करता आया है, मगर जब मेकर किसी सच्ची घटना को पर्दे पर उतारता है, तो उसकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है.

काल्पनिक कहानियों में सिनेमैटिक लिबर्टी ली जा सकती है, मगर सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्म में छोटी-सी अतार्किक बात भी अखरती है और नतीजतन उसके प्रभाव को कम कर देती है. फिल्म केरल में युवा हिंदू लड़कियों के कथित धर्मांतरण और इस्लाम की कट्टरता के इर्द-गिर्द घूमती है. फिल्म में दावा किया गया है कि यह केरल की तीन युवा लड़कियों की सच्ची कहानियों पर आधारित है.

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“द केरल स्टोरी” ने बॉक्स ऑफिस पर धुआंधार कमाई (The Kerala Story)

अदा शर्मा स्टारर इस फिल्म का ओपनिंग डे कलेक्शन 8 करोड़ 3 लाख रहा. फिल्म ने ठीकठाक ओपनिंग ली, जिसके बाद कुछ ही दिनों में मूवी ने 100 करोड़ पार कर लिया. आइये जानते हैं कि 10वें दिन फिल्म ने कितने करोड़ कमा लिए.

फिल्म ने रविवार यानी कि 10वें दिन 23 करोड़ का कलेक्शन किया है. इस लिहाज से फिल्म का कुल कलेक्शन 135.99 करोड़ हो गया है.वहीं, 12 मई को इस फिल्म को दुनियाभर में रिलीज किया गया, जहां ऑस्ट्रेलिया में फिल्म ने अच्छी ओपनिंग ली. पहले ही दिन फिल्म ने 44 लाख का बिजनेस कर लिया.

निर्देशक के रूप में सुदीप्तो सेन अपने पात्रों के माध्यम से भय और बेचैनी पैदा करने में कामयाब रहे हैं. मगर उनके किरदार पूरी तरह से ब्लैक एंड वाइट हैं. उनकी कहानी में ग्रे चरित्रों की गुंजाइश नजर नहीं आती. युवाओं का ब्रेनवॉश करके उन्हें आतंकवाद के गर्त में डुबाना एक बेहद गंभीर मुद्दा है, मगर फिल्म में उसका प्रोजेक्शन भटका हुआ नज़र आता है. फिल्म में लड़कियों का ब्रेनवॉश किए जाने की की प्रक्रिया बहुत ही बचकानी लगती है. ग्रेजुएशन की हुई लड़कियों को आसिफा और उसके साथी जिस तरह बरगलाते हैं, वह कन्विंसिंग नहीं लगता. गीतजंलि का अस्पताल में पड़े पिता पर थूकना, शालिनी को कोलंबो में सच्चाई पता चलने के बावजूद उसका सीरिया जाना जैसे कई दृश्य हैं, हजम नहीं होते.

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