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Mahatma Gandhi: गोडसे से पहले कब-कब हुई गांधी जी की हत्या की कोशिश? जानें

Mahatma gandhi murder attempt

Mahatma gandhi murder attempt

Mahatma Gandhi: महात्मा गांधी जैसी शख्सियत ना हुई है और ना शायद होगी.सीमित संसाधनों में असीमित शोहरत पाने वाले शख्स का नाम है महात्मा गांधी. उनका व्यक्तित्व इतना विराट था कि आज भी करोड़ों लोग उनसे प्रभावित हैं. उनकी हर एक बात हमें कुछ ना कुछ सिखाती है.कई बार आंदोलन के बीच ऐसे मौके आए जब वो एक तरफ खड़े थे और बाकी लोग दूसरी तरफ.हैरानी की बात ये है कि गांधी जी की हत्या की कोशिश कई बार(Mahatma Gandhi murder attempt) की गई थी.

लेकिन महात्मा गांधी जी अपने मार्ग से किंचित नहीं डगमगाए. 1948 को जब महात्मा गांधी की हत्या हुई, तब देश को आज़ाद हुए सिर्फ 5 महीने और 15 दिन हुए थे. और बहुत सारे लोगों को शायद ये बात पता नहीं होगी कि, जब गांधीजी की हत्या की साज़िश रची गई, तब शुरुआत में ये तय नहीं हुआ था कि, ये हत्या नाथूराम गोडसे को करनी है.

Mahatma Gandhi murder attempt

Mahatma Gandhi: पहली बार 1934 को हुआ हमला

महात्मा गांधी पर 1934 पर पहली बार पुणे में हमला हुआ था.लेकिन इस हमले में गांधी जी की किस्मत ने उन्हें बचा लिया. महात्मा गांधी को एक समारोह में जाना था.तभी वहां एक जैसी दो गाड़ियां आईं.एक गाड़ी में आयोजक थे और दूसरे में गांधी जी यात्रा करने वाले थे.लेकिन इस दौरान रेलवे फाटक आया इसमें आयोजकों की कार निकल गई, लेकिन गांधी जी की कार फाटक पर ही रुक गई.आपको जानकर हैरानी होगी कि, जो कार आगे गई उसमें एक जोरदार धमाका हुआ और उसके परखच्चे उड़ गए.गांधी जी की किस्मत ने उन्हें वहां बचा लिया.क्योंकि ट्रेन देर से आई थी.

Mahatma Gandhi:1944 में दूसरा हमला

1944 में आगा खां पैलेस से रिहाई के बाद गांधी पंचगणी जाकर रुके थे. इस दौरान वहां कुछ लोग उनके ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे. गांधी जी ने प्रदर्शनकारियों से बात करने की कोशिश की. लेकिन कोई बात करने को राजी नहीं था. इतने में एक शख्स छुरा लेकर दौड़ पड़ा हालांकि उसे वहां मौजूद लोगों ने पकड़ लिया और गांधी जी बच गए.

Mahatma gandhi murder attempt

तीसरे हमले में बाल बाल बचे

पंचगणी की घटना के बाद भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर जानलेवा हमले रुके नहीं. इस घटना के बाद गांधी जी और जिन्ना की मुलाकात मुंबई में होने वाली थी.लेकिन इस वार्ता से मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा के लोग खासे नाराज थे.वहां पर भी गांधी जी पर नाकाम हमले की कोशिश हुई.

चौथे हमले में किस्मत ने बचाया

1946 में महाराष्ट्र के नेरूल के पास गांधी जी ट्रेन से सफर कर रहे थे. वो जिस ट्रेन से सफर कर रहे थे उसकी पटरियां उखाड़ दी गईं थीं. ट्रेन पलट गई, लेकिन इसे किस्मत ही कहेंगे कि, गांधी जी को इस हमले में एक खरोंच तक नहीं आई.

Mahatma gandhi murder attempt

1948 में 5वां हमला

1948 में गांधी जी पर दो बार हमले हुए. पहले मदनलाल बम फोड़ना चाहता था, लेकिन वो फूटा नहीं और लोगों ने उसे पकड़ लिया.

छठा हमला बना जानलेवा

छठा हमला महात्मा गांधी के लिए जानलेवा साबित हुआ. इस बार उनकी किस्मत ने भी उनका साथ नहीं दिया. 30 जनवरी 1948 को छठी बार नाथूराम गोडसे ने गोली चलाई, इस हमले में गांधी जी की जान चली गई.

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