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डिफाल्टर होने पर भी Loan वसूली के लिए बैंक नहीं कर पाएंगे परेशान,अगर आपको पता होंगे ये अधिकार

2000 Currency Note

2000 Rupee Note

Loan: महंगाई के इस दौर में अमूमन व्यक्ति के पास इतनी रकम नहीं बचती कि वो सुख सुविधाओं को पूर्ति के लिए इस्तेमाल कर सके इसलिए बैंक के द्वारा वो लोन लेता है. यह लोन कई बार व्यक्ति की साख पर मिल जाता है और कई बार व्यक्ति अपनी प्रॉपर्टी के कागजात को बैंक के पास रखकर लोन लेता है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति लोन नहीं चुका पाता और उसके प्रॉपर्टी के कागजात के आधार पर बैंक उसकी प्रॉपर्टी को जब्त कर लेता है. ऐसे में अधिकतर लोगों को यह पता नहीं होता कि उनके पास भी कुछ अधिकार होते हैं जिनके बारे में जानकर वह कुछ हद तक इन मुसीबत से बच सकता है.

image credit (google)

इस स्थिति में दिवालिया घोषित करते हैं बैंक

अगर आपने बैंक से होम लोन लिया है और लोन की किस्त नहीं भरते हैं, तो बैंक आपको रिमाइंडर भेजता है. अगर इसके बावजूद भी होम लोन की कई किस्तों को नहीं भर पा रहे हैं, तो बैंक आपको कानूनी नोटिस भेजता है. कानूनी नोटिस के बाद भी आप बकाया ईएमआई नहीं भरते हैं, तो बैंक आपको डिफाल्टर यानी की दिवालिया घोषित कर देगा.

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लोन डिफाल्टर होने पर आपके अधिकार

  1. आपको बता दें कि कई बार बैंक ऋण वसूली के लिए रिकवरी एजेंट की सेवाएं लेते हैं. रिकवरी एजेंट की सेवाएं लेना कानूनी तौर पर सही है. लेकिन, अगर रिकवरी एजेंट नियमों से परे जाकर ग्राहक के साथ बदसलूकी, गाली-गलौज या धमकी देते हैं, तो ग्राहक इसकी शिकायत बैंक में के सकता है. अगर इसके बावजूद भी बैंक आपकी शिकायत पर एक्शन नहीं लेता है, तो आप बैंकिंग  ओबंड्समैन में मदद की गुहार लगा सकते हैं.
  2. आपको बता दें कि बैंक आपकी संपत्ति को इतनी आसानी से कब्जे में नही ले सकता है. जब ग्राहक 90 दिनों तक ऋण की ईएमआई को नही अदा करता है, तो तब ग्राहक के ऋण खाते को नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) में डाला जाता है. इससे पहले ऋणदाता को दिवालिया ग्राहक को 60 दिन का नोटिस जारी करना होता है. अगर इस 60 दिन के नोटिस पीरियड में भी ग्राहक ऋण अदा नहीं करता है, तो बैंक संपत्ति की बिक्री के लिए कदम उठा सकते हैं. हालांकि, बिक्री से पूर्व भी बैंक को 30 दिन का पब्लिक नोटिस जारी करना पड़ता है.
  3. नीलामी की प्रक्रिया से पहले बैंक या फाइनेंसर को संपत्ति की बिक्री से पूर्व उसकी कीमत बताते हुए नोटिस जारी करना पड़ता है. इस नोटिस में एसेट की रिजर्व प्राइस (इसके मूल्य के नीचे संपत्ति नही बेची जा सकती है), नीलामी की तारीख और समय के बारे बताना होता है. कई बार ग्राहक को लगता है कि उसके संपत्ति को कम मूल्य पर नीलामी के लिए रखा गया है. ऐसे में ग्राहक संपत्ति की नीलामी को चैलेंज कर सकता है.
  4. संपत्ति की नीलामी के बाद बैंक को अपने ऋण का हिस्सा अपने पास रख लेता है और बची हुई रकम को ग्राहक को लौटाना होता है ग्राहक नीलामी प्रकिया में प्राप्त ऋण के अतिरिक्त धन को प्राप्त करने का अधिकरी होता है.

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