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Economy Impact: चीन के मुकाबले भारत की स्थिति किन क्षेत्रों में है बेहतर,इन आंकड़ों से जानिए पूरी सच्चाई

India Batter than China Image Credit - Google

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Economy Impact : पिछले 3 सालों से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है. जिसका असर देश के अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है.एक तरफ जहां पूरी दुनिया अर्थव्यवस्था की मार झेल रहा है, वही दूसरी तरफ हेल्थ सेक्टर को मजबूत करने में सभी देशों को काफी खर्च उठाना पड़ा हैं. भारत और चीन की तुलना में चीन सबसे अधिक घरेलू कर्ज में डूबा हुआ है.वही भारत घरेलू कर्ज से बाहर है.साथ ही भारत के साथ सिंगापुर और इंडोनेशिया की स्थिति भी बेहतर है.इन देशों में घरेलू खर्च कम लागत पर है.

इसके विपरित ऑस्ट्रेलिया, हॉन्ग कॉन्ग जैसे देशों में स्थिति उलट दिखाई दे रही हैं. वहां घरेलू कर्ज जीडीपी के 100% को पार कर चुका है. मलेशिया, थाइलैंड जैसे देशों में भी घरेलू कर्ज सबसे अधिक है. इसलिए वहां बढ़ती महंगाई में ब्याज दरें बढ़ेगी.बता दे कि, देश में महंगाई अपने चरम पर है,लेकिन भारत पर इमर्जिंग इकोनॉनी (Emerging economy) में कर्ज बहुत कम है,इसलिए भारत पर ज्यादा ब्याज दरें नहीं बढ़ाई जाएगी.वही जिन देशों पर कर्ज अधिक है, उन देशों के ऊपर ब्याज दरें बढ़ाई जाएंगी.

Emerging economy list

देश(Country)घरेलु कर्ज(Domestic/Home loan)सरकारी कर्ज(Government Loan)कॉरपोरेशन कर्ज(Corporation Loan)
भारत (India)50 से कम200 से कम100 से कम
चीन (China)50 फीसदी से अधिक270 से अधिक200 से अधिक
थाईलैंड (Thailand )70 से अधिक200 से अधिक150 से अधिक
इंडोनेशिया (Indonesia)30 से कम100 से कम50 से कम
मलेशिया (Malaysia)60 फीसदी से अधिक200 फीसदी130 से अधिक
आंकड़े


भारत में उत्पन्न होंगे रोजगार के अवसर


जमीनी स्तर पर हुए काम भारत के निवेश क्षेत्र का बेहतर उदाहरण है.आंकड़ों के मुताबिक, पीएलआई स्कीम (PLI Scheme) से इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में भारत के निवेश में बढ़ोतरी हुई है. 2021 में निर्यात 50% बढ़कर 1.15 लाख करोड़ रुपए रहा है. यह 2022 के 9 महीनों में ही इस स्तर पर पहुंच गया. वहीं एपल आईफोन का मुख्य सप्लायर फॉक्सकॉन चीन से अपनी यूनिट भारत ला रहा है.साथ ही, भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिलने और ऑस्ट्रेलिया व यूके से व्यापार समझौतों से भी निवेश में बढ़ोतरी होंगे.जिससे देश में रोजगार के अवसर पैदा होंगे.


अन्य देशों की स्थिति होगी खराब


रिपोट्स के मुताबिक इस बार दक्षिण-पूर्व एशिया में सियासी अनिश्चितता बनी रहेगी तो वही थाईलैंड में इसी वर्ष चुनाव का माहौल बना है. जिसके लिए कंपनी चीन पर निर्भर रहने के बजाय अन्य देशों की ओर रुख करना चाहते हैं जिसमे भारत भी शामिल है. वहीं उच्च ब्याज दरों के कारण एशिया में आर्थिक माहौल चुनौती भरा रहेगा. वहीं अधिक घरेलू कर्ज होने के कारण ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया की वृद्धि में कमी आयेगी.

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